वश्य का अर्थ क्या होता है?
किसी की इच्छा के अधीन । दूसरी की आज्ञा या कहने में रहनेवाला । वश में रहनेवाला । उदाहरण - तुम्हारा धन है मान अवश्य ; किंतु हूँ मैं तो यों ही वश्य ।
वर्ण मैत्री क्या है?
वर तथा कन्या के वर्ण से उच्च स्तरीय अथवा समान वर्ण होने पर एक गुण मिलता है यदि दोनो में से कोई भी मिलान नहीं हो तो शून्य गण होगा. यदि वर की राशि का वर्ण कन्या की राशि वर्ण से हीन हो परंतु राशि का स्वामी उत्तम वर्ण का हो तो वर्ण मिलान शुभ माना जाता है. इसमें 12 राशियों को पाँच अलग-अलग भागों में बाँटा गया है.
भकूट कितने हैं?
भारतीय वैदिक ज्योतिष में कुंडली मिलान के लिए प्रयोग की जाने वाली गुण मिलान की विधि में मिलाए जाने वाले अष्टकूटों में नाड़ी और भकूट को सबसे अधिक गुण प्रदान किए जाते हैं। नाड़ी को 8 तथा भकूट को 7 गुण प्रदान किए जाते हैं।
वैश्य में कौन कौन सी जाति आती है?
वैश्य भारत में हिन्दुओं की जाति व्यवस्था में चार वर्णों में से एक है। किसान, पशुपालक और व्यापारी समुदाय इस वर्ण में शामिल हैं। वैश्य शब्द वैदिक विश् से निकला है।
नाड़ी दोष क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी दोष को ज्यादा अशुभ मानते हैं। कहा जाता है कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धता आना, वर-वधू में से एक या दोनों की मृत्यु जैसी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है। 1. अगर लड़का-लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
शादी के लिए कितने गुण मिलने चाहिए?
कुंडली में मुख्य रूप से 8 चीजों का मिलान होता है जैसे गण, ग्रहमैत्री, नाड़ी, वैश्य, वर्ण, योनी, तारा और भकूट इन्हीं सब को मिलाकर कुल 36 गुण बनते हैं।
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र में कौन कौन सी जाती आती हैं?
ब्राह्मण: पुजारी, विद्वान और शिक्षक। क्षत्रिय: शासक, योद्धा और प्रशासक। वैश्य: कृषिविद और व्यापारी। शूद्र: सेवा प्रदाता।
शूद्र का देवता कौन है?
ऋग्वैदिक काल में शूद्रों के देवता कौन थे? Notes: ऋग्वैदिक काल में देवताओं के भी वर्ण होती थीं जैसे कि अग्नि ब्राह्मण थे। इंद्र और वरुण क्षत्रिय, मारुत और रुद्र वैश्य तथा पूषन शूद्र थे। पूषन का कार्य यात्रियों की रक्षा करना बताया जाता है।
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र में कौन कौन सी जाति आती है?
ब्राह्मण: पुजारी, विद्वान और शिक्षक। क्षत्रिय: शासक, योद्धा और प्रशासक। वैश्य: कृषिविद और व्यापारी। शूद्र: सेवा प्रदाता।
सबसे शुद्ध जाति कौन सी है?
शूद्र भारत में हिन्दू वर्ण व्यवस्था के चार वर्णों में से एक है। जो कि जन्म के आधार पर ना होकर कर्म के आधार पर थी।
नाड़ी दोष का उपाय क्या है?
नाड़ी दोष का प्रभाव कम करने के लिए किसी ब्राह्मण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए। इसके अलावा सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करना चाहिए। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करना चाहिए। (नोट- कोई भी दान या पूजा कार्य किसी ज्योतिषी की सलाह से और उनके मार्गदर्शन में ही करें।)
नाड़ी दोष कब लगता है?
जब लड़का-लड़की के जन्म नक्षत्र एक ही नाड़ी में आते हैं, तब यह दोष लगता है। इस दोष के चलते गुण मिलान में 8 गुणों की हानि होती है। इस दोष के लगने से विवाह को वर्जित बताया जाता है। इस दोष के बावजूद विवाह होने पर विवाह में अलगाव, मृत्यु और दुखमय जीवन की आशंकाएं होती हैं।
राशि कैसे मिलाया जाता है?
अष्टकूट मिलान में 36 अंकों का वितरणवर्ण : वर्ण का अर्थ होता है स्वभाव और रंग। वश्य : वश्य का संबंध भी मूल व्यक्तित्व से है। तारा : तारा का संबंध दोनों के भाग्य से है। योनि : योनि का संबंध संभोग से होता है। राशिश या मैत्री : राशि का संबंध व्यक्ति के स्वभाव से है। भकूट : भकूट का संबंध जीवन और आयु से होता है।More items